स्मार्टफोन ने जब से बेसिक कैमरे का रोल निभाना शुरू किया है तब से पॉइंट एंड शूट कैमरे का मार्केट काफी गिर गया है। हालांकि आम लोगों द्वारा स्मार्टफोन के कैमरे से तस्वीरें लिए जाने के बावजूद एसएलआर कैमरा का चलन बढ़ा है।
एसएलआर यानी की सिंगल लेंस रिफ्लेक्ट तकनिकी से लैस कैमरा अब फोटोग्राफी के शौकीनों की पसंद बन रहे हैं। लोग बेहतर पिक्चर क्वालिटी या फिर प्रोफेशनल फोटोग्राफी के लिए इस तरह के कैमरों का प्रयोग कर रहे हैं।
मेगापिक्सेल
पिक्चर को बड़ी करते समय उसकी क्वालिटी ख़राब न हो। मेगापिक्सेल इस बात का ध्यान रखता है। किसी भी कैमरे का मेगापिक्सेल जितना ज्यादा होगा , उसकी पिक्चर को उतना ही बड़ा किया जा सकता है। बड़ा करने पर पिक्चर की क्वालिटी ख़राब नहीं होगी।
आईएसओ
कैमरा का आईएसओ चेक करना भी बहुत जरुरी है। आईएसओ कैमरे के सेंसर को कण्ट्रोल करता है। आईएसओ कम रोशनी में बेहतर पिक्चर लेने में मदद करता है। किसी कैमरा का जितना आईएसओ ज्यादा होगा उतना ही कैमरा कम रोशनी में अच्छी फोटो खींचने में सक्षम होगा।
लेंस
अच्छी फोटो लेने में लेंस का भी बड़ा योगदान रहता है। जितना अच्छा कैमरे में लेंस होगा उतना अच्छी फोटो ले पाएंगे। मेगापिक्सेल कम होने पर अगर लेंस अच्छा होगा तो फोटो अच्छा आएगी।
इमेज स्टेबलाइजेशन
कैमरे से वीडियो बनाना चाहते हैं लेकिन आपके पास ट्राइपॉड नहीं है, तो ऐसी स्थिति में यह तकनीक काम आती है। अगर आपके कैमरे में यह तकनीक है तो वीडियो में थोड़ी बहुत हलचल होने पर भी फुटेज पर इसका असर नहीं पड़ेगा।
रॉ
कैमरे में जो फोटो लेते है। वो तो फॉर्म में सेव होती है। पहला, जेपीईजी दूसरा आरएडब्ल्यू यानी रॉ। कुछ बदलाव करना चाहते हैं तो रॉ फोटो ही काम आती है। जेपीईजी में पिक्चर्स को एडिट नहीं किया जा सकता। आरएडब्ल्यू में बदलाव करने से फोटो क्वालिटी खराब भी नहीं होती है।